04/ 02/ 2010
अवतार का सच या रहस्य
धर्म आधार है जीवन का, अस्तित्व का / धर्म ने धारण किया हुआ है जीवन को (धारति इति धर्म) / धर्म बुनियाद है - जिसके बिना जीवन का भवन गिर जाता है/ धर्म का अर्थ होता है स्वभाव - जैसे आग का गर्म होना स्वभाव है, सूरज का स्वभाव है प्रकाश देना / प्रकाशहीन सूरज या गर्मीविहीन आग को क्या कहेंगे / सूरज और आग ने अपना आत्यंतिकता गुण खो दिया - अपना धर्म या स्वभाव खो दिया / स्वभाव से जब कोई अलग हो जाए तो फिर वहवही न रहा जो था /
इसी तरह मनुष्य अपनी मानवता या धर्म खो दे तो फिर वह मनुष्य न रहा / दिखाई पड़ेगा मनुष्य जैसा, हो जायेगा पशुवत, यानि ज़िन्दगी जीएगा पशु की तरह / मनुष्य को छोड़ कर हर जीव अपने स्वभाव मे जी रहा है, अपने धर्म मे जी रहा है / कभी अपने किसी को यह कहते सुना या फिर आपको ऐसा कहने की ज़रुरत महसूस हुई - क्यों भाई गधे कुत्ते जैसा व्यवहार क्यों कर रहे हो, या फिर क्यों भाई नीम के वृक्ष आम के वृक्ष जैसा व्यवहार क्यों कर रहे हो / लेकिन मनुष्य को कहने की ज़रुरत पड़ती है , और आजकल यह ज़रुरत कुछ ज्यादा ही महसूस की जा रही है/ कोई न्यूज़ चैनल देख लो या फिर कोई भी अखबार पढ़ लो / और हमारे नेता लोग कुछ ज्यादा ही महसूस करा रहे हैं /
मगर हमारी भीड़ भी पीछे नहीं है ( राज्ञो कालस्य कारणं - यानि जैसा राजा वैसी प्रजा)/ क्यों हो गया ऐसा - मनुष्य ने अपना धर्म, अपना स्वभाव छोड़ दिया और झूठी नैतिकता (मुहं मे राम बगल मे छुरी) अपना ली / आज की नैतिकता तो यही कहती है जब तक पकडे न जाओ तब तक चोर नहीं - तो भैया चोरी करे जाओ माथे पर टीका लगा के या राम नाम की चदरिया ओढ के बस इतना ख्याल रखो की पकडे न जाओ, और पकडे भी जाओ तो रिश्वत दे कर छूट भागो /
मुझे ऐसा लगता है की हमने अच्छे मनुष्यों को बना दिया अवतार , भगवान, भगवान का बेटा - कृष्ण को,राम को, नानक को, कबीर को,आदि शंकराचार्य को, गौतम बुध को - क्यों ? अगर उन्हें मनुष्य कहेंगे तो फिर हमे भी उन जैसा बनने की कोशिश करनी होगी या फिर अपने को पशुवत मनुष्य कहना होगा / इसलिए उन्हें बना दिया अवतार और हम मनुष्य बने रह सकते हैं माथे पर टीका लगा के या रामनाम,या कृष्णनाम की चदरिया ओढ के /
अगर आप मनुष्य है तो ठीक वर्ना अभी से कोशिश शुरू करदो धर्म को अपना कर , धर्म अपने स्वभाव के कारण आप को धारण करने को सदैव तत्पर है/ धर्म पताका फिर फहराने दो/ फिर बनादो भारत को सोने की चिड़िया/
आपका मित्र,
के .के. शर्मा
E-mail :kksharma1469@yahoo.co.in
URL : krishnanand101.blogspot.com
Thursday, February 4, 2010
Subscribe to:
Posts (Atom)