Krishnanand Saraswati/ Sharma Ji k 4 bandar

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Friday, March 19, 2010

MEMORY, INTELLIGENCE AND WISDOM

बुद्धि, बुद्धिमता, और स्मृति
बुद्धि, बुद्धिमता और स्मृति अलग - अलग हैं/

स्मृति अतीत है , बुद्धि की खोज भविष्य है, और बुद्धिमता, अन्त्स्चेतना,प्रज्ञा या विवेक वर्तमान है/
और यह ज़रूरी नहीं की स्मृति के साथ बुद्धि भी हो, या बुद्धि के साथ स्मृति भी हो/
विज्ञान का कहना है, की बहुत स्मृति हो तो समस्त चेतना उसी मे जकड जाती है, और ज्यादा बुद्धि नहीं हो पाती /
सारी शिक्षण संस्थाएं स्मृति पर जोर देती हैं, शायद इसीलिये दुनिया मे बड़ा बुद्धूपन है/
क्योंकि स्मृति का शिक्षण होता है, बुद्धिमता का कोई शिक्षण नहीं होता/
बुद्धिमता बोध और अनुभव से आती है/

बुद्धि,मन,सुधि,स्मृति, मनीषा, प्रतिमा सब चेतना के रूप हैं/ और इनसे जो भी जाना जाता है वह सीमित होगा,साकार होगा/ जैसे घर के अन्दर से घर की खिड़की से कोई आकाश को देखे तो आकाश उतना ही दिखाई पड़ेगा, जितना खिड़की का चोखटा है/
क्योंकि रूप /साकार से तुम अरूप/निराकार को नहीं जान सकते/
वह अरूप/निराकार तो छिपा हुआ है, अप्रछ्छन है - अन्त्स्चेतना है, बोध है, जागरण है,विवेक है/

उस अरूप को पकड़ो और इन रूपों को छोड़ दो/ और जैसे ही अरूप को भीतर पकड़ लोगे , वैसे ही सारे जगत मे निराकार की पहचान शुरू हो जाती है/

K.K.शर्मा
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