तुम्हारी विश्रांति मे बाधा तुम स्वंयं हो
यदि तुम्हे पता चल जाए कि कैसे विश्राम करना है तो कुछ भी तुम्हे विचलित नहीं कर सकता/ और यदि तुम्हे पता न हो कि विश्रांत कैसे हुआ जाता है तो कुछ भी तुम्हे बाधा डालेगा/ असल मे कुछ भी तुम्हारी विश्रांति मे बाधा नहीं है, हर चीज़ केवल बहाना है/ तुम हमेशा ही परेशान होने को तैयार रहते हो/ अगर एक चीज़ तुम्हे परेशां नहीं करेगी तो दूसरी करेगी; परेशान रहना तुम्हारी आदत बन चुकी है/ तुम हमेशा तैयार हे हो, परेशान होने की तुम्हारी प्रवृति बन चुकी है/
यदि सब कारण हटा लिए जाएँ तो भी तुम परेशान रहोगे/ तुम कोई कारण दूंढ लोगे, कोई कारण निर्मित कर लोगे/ यदि बाहर से कुछ नहीं मिलेगा तो तुम भीतर से कुछ निर्मित कर लोगे-- कोई विचार, कोई धारणा -- और परेशान हो जाओगे/ तुम्हे बहाने चाहियें और बहाने दूंढने मे तुम कुशलता अर्जित कर चुके हो/
लेकिन एक बार तुम्हे विश्रांत होने की कला आ जाए तो कुछ भी तुम्हे परेशान नहीं कर सकता/ ऐसा नहीं की संसार बदल जाएगा, की परिस्थितित्यां बदल जायेंगी/ संसार जैसा था वैसा ही रहेगा, लेकिन अब तुममे वह प्रवृति न रही, वह पागलपन न रहा; तुम अब बदल चुके हो, तुम अब हमेशा परेशान होने को तैयार नहीं हो/ अब तुम मे जो कुछ भी घटेगा; तुम्हारे आस-पास जो भी होगा, विश्रामदायक होगा/ हो सकता है जो तुम्हारे निकट आएगा वह भी अपने भीतर विश्राम ही महसूस करेगा/ याद रखना जब तुम विश्रांत हो तो ट्राफिक का शोरभी विश्रामदायक हो जाएगा/ यह तुम पर निर्भर है / यह तो भीतर का गुण है/
के. के. शर्मा
E-mail : kksharma1469@yahoo.co.in
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Monday, January 11, 2010
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