Krishnanand Saraswati/ Sharma Ji k 4 bandar

Krishnanand Saraswati/  Sharma Ji k 4 bandar

Friday, March 13, 2015

#करप्शनवेद : सूत्र ६




‪#‎करप्शनवेद‬
5 सूत्र लिखे जा चुके हैं
"६ टा सूत्र : " हेरत, हेरत, हेरत, गयो कबीर हेराय,
बूँद समानि समुंद में,कोंहूँ खोजन जाए /" संत कबीर..
यानी, एक करप्शन की एक नन्ही सी बूँद , अनंत समुन्द्र(समुन्द्र अनंत नहीं भी होता और होता भी है, इसलिए समुन्द्र को एक प्रतीक के रूप में चुना गया है ) में बदल चुकी है / अब इसे कौन ढूंढें, और विशाल, एवं विराट रूप ले चुकी है.../
अब किसी को तो बिल्ली के गले मैं घंटी बांधनी ही पड़ेगी , इसीलिए इस करप्शन वेद की शुरुआत हुई, जो मैंने की ,अपनी तरह से..
कई हितैषी मित्रों ने सलाह भी दे डाली...इसमें जान का ख़तरा है..देख लेना...
और भी ज्यादा हितैषी मगर अनाम मित्रों ने (जिन्हें true caller भी ढून्ढ नहीं पाया ) मुझे चेतावनी भी दे डाली , देख लो परिवार वाले हो,,,पुनः चिंतन-मनन कर लो..
अन्दर से विवेक चिल्ला कर बोला..
जब उखल में दिया सर,
तो मूसल से क्या डर
जो डर गया, समझो मर गया,
"अभी २-३, साल पहले तो तुम ज़िंदा हुए हो.....!!!!!
फिर कबीर साहेब ने बोला : " जीतेजी जो मर रहो,
बहुरी मरण फिर नाहीं /"
" मैं मरुँ तो राम मरे, नहीं तो मरे बलाय,
अविनाशी का बालका, मरे ना मारा जाय "/
तुरंत मेरे दिमाग में भी एक तुकबंदी आयी :
"तू अकेला नहीं, आँख खोल के देख, सही दिशा में कदम उठ गया है,
कारवाँ तैयार है,अस्तित्व भी तैयार है,बस तेरे अगले कदम का इंतज़ार है "
क्रमश:
के.के.शर्मा
०९९५३३१२६८३
Em: krishan.sharma.vats@gmail.com
Tw: Tweeter Account @ kksharma1469
Blog :Krishnanand101.blogspot.com
धन्यवाद
Unlike ·  · 

Monday, March 9, 2015

#करप्शनवेद :सूत्र ५


‪#‎करप्शनवेद‬ :४ सूत्र लिखे जा चुके हैं ...
५ वां सूत्र :बात निकली है तो फिर दूर तलक जायेगी....
और यही हुआ/ करप्शन की यात्रा शुरू हो गयी, और फिर गोमुख से गंगोत्री..गंगोत्री से आस पास की धाराओं से मिल कर गंगा बनी..गंगा से गंगासागर / यानी अनंत जिसका कोई अंत नहीं....
जिसको जो घाट मिला, उसने उस घाट पर स्नान किया और अपने -२ हिसाब से पूजा-अर्चना एवं भेंट चढ़ाई/
इस अनंत आस्था को देखते हुए पण्डे-पुजारी (दलाल) भी पैदा हो गए/ और जैसी जिसकी अन्धश्रद्धा वैसी दक्षिणा /
और पूरे भारत मैं "व्याप्त" हो गयी/
चोर-चोर मौसेरे भाई/ भाई समाज बन गया / और चूँकि हर समाज का अपना क़ानून और व्यवस्था होती है, बिलकुल ऐसा ही हुआ.....क्रमशा...
मेरी फिर करबद्ध प्रार्थना/ इस मुहीम के साथ जुड़िये और यथासंभव योगदान दीजिये/
आपको तन और धन नहीं देना है, केवल अपना मन देना है...retweet करके, FB & WhatsApp पर messaage forward करके/
अपने आप से पूंछे, क्या ऐसा ही भारत आप आने वाली पीढी को देना चाहते हैं??
और आज के अध्याय का समापन इस तुकबंदी के साथ..
''धर्म तेरा हो मनुष्यता, तो सर पे तेरे ताज है,
तेरी वाणीं हो प्रार्थना, फिर तू गीतों का साज है,
ह्रदय तेरा हो इतना निर्मल, तेरी आवाज ही इश्वर की आवाज है,
यह बता कर जग से बिदा लेना, बिन तेरे दुनिया बड़ी मोहताज़ है"
के.के.शर्मा
०९९५३३१२६८३
Em: krishan.sharma.vats@gmail.com
Tweeter Account @ kksharma1469
Blog:Krishnanand101.blogspot.com
धन्यवाद जो जुड़ चुके हैं, जो जुड़ना चाहते हैं और जो आगे जुड़ेंगे
Unlike ·  · 

#करप्शनवेसूत्र ४

#‎करप्शनवेद  :३ सूत्र लिखे जा चुके हैं/
४ था सूत्र: मुर्गी पहले आयी या अंडा?
करप्शन इतनी बड़ी पहेली नहीं है/ इसके बीज जनता ने बोए हैं तो इसको समाप्त करने का बीज भी जनता को ही बोना पड़ेगा/ आपकी दुनिया स्वंयं आप से शुरू होती है/

क्यों और कैसे ???
भारत जब आजाद हुआ १९४७ मैं तो पहली रिश्वत किसी एक आदमी ने (कोई भी हो सकता है) किसी सरकारी आदमी को दी होगी/ आजादी का नशा सबके सर चढ़ कर बोल रहा था/ अपना काम निकालने के लिए किसी एक आदमी ने इसकी शुरुआत कर दी, और फिर सरकारी ने इसे अन्य-आय का विकल्प बना लिया/
और आज ये हालत है १०० मैं से ९९ बेईमान, फिर भी मेरा भारत महान/
इस मुहीम से जुड़िये/
आपको केवल ReTweet करना है और FB & WhatsApp पर फॉरवर्ड करना है/
इस यज्ञ मैं आपकी आहुति ज़रूरी है , और आने वाली नस्ल की पुकार भी/
कृपण मत बनिए, कृपणता बहुत बड़ा अभिशाप और जुर्म है/
भारत में एक बड़े राजऋषि हुए हैं , जिनका नाम था कर्दम/ उन्होंने विष्णु भगवान् की बहुत प्यारी स्तुति की है/ विष्णु की प्रार्थना, करते हुए कहते हैं...मेरे राज्य मैं कोई भी कृपण नहीं है, इसलिए आप मेरे राज्य पर अपनी कृपा-दृष्टि बनाए रखना/
आज की यही सच्चाई है..सारे संसार की दौलत केवल १० % लोगों ने कब्जे मैं की हुई है अगर वो अपनी बेशुमार दौलत का उपयोग सद्कार्यों में लगाएं तो गरीबी ऐसे दूर हो जायेगी जैसे गधे के सर से सींग/
और विश्व मैं ''वासुदेव कुटुम्बकम'' धर्म फिर से स्थापित हो जाएगा, और पूरा विश्व "सोने-की-चिड़िया'' बन जाएगा / यह हो सकता है और भारत इसे कर के दिखा चुका है/
फिर से शुरवात भारत को ही करनी होगी/ पूरा विश्व इसका इंतज़ार कर रहा है/
के.के.शर्मा
०९९५३३१२६८३
Tweeter Account @ kksharma1469
Em:krishan.sharma.vats@gmail.com
धन्यवाद
Unlike ·  · 
  • You like this.
  • Krishan Sharma बहाए चाँद ने आंसू, ज़माना चांदनी समझा
    किसी के दिल में हुक उट्ठी, ज़माना रागिनी समझा..!!!
    22 hrs · Lik

#करप्शनवेद :सूत्र ३

‪#‎करप्शनवेद‬
२ सूत्र लिखे जा चुके हैं ..
३ सरा सूत्र : बीज से शुरू , बीज पर समाप्त
किसी भी जीव की (इकाई) की यात्रा जीवन से शुरू होकर मौत पर समाप्त
होती है और उसकी मौत पर समाप्त हो जाती है/ पर वह जीव अपनी इस 
यात्रा में सन्तान को जन्म देता है सन्तान एक या एक से ज्यादा हो सकती
है/

चूँकि यह करप्शनवेद है तो लिहाजा चर्चा करप्शन पर ही होगी. और आजाद भारत में करप्शन के जन्म से शुरू होगी ..
प्रश्न १.: आजाद भारत में करप्शन का जन्म कब, कहाँ और कैसे हुआ होगा ?
जो मित्र भी इस चर्चा मैं शामिल होना चाहें उनका स्वागत है / गूंगे -बहरों(डिफरेंटली abled) का भी स्वागत है/ आखिर मजा लेने वाले भी तो चाहियें/ इनके बिना तो करप्शनवेद का लिखा जाना संभव नहीं होता , क्योंकी असल मैं यही लोग करप्शन जंगल के चौकीदार हैं / और ये अपनी जिम्मेदारी बड़ी निष्ठा से निभाते हैं ...बीज से शुरू हुआ और जंगल बन गया और जंगल का निरंतर विस्तार होता जा रहा है...
P.S. कमेंट्स मैं भाषा और शालीनता का ध्यान रखा जाये/ शैली परिहास की हो सकती है मगर उपहास वर्जित है /

के.के.शर्मा
०९९५३३१२६८३
Em:krishan.sharma.vats@gmail.com
Tw.:@kksharma1469
Blog: Krishnanand101.blogspot.com

#करप्शनवेद:सूत्र १ & २

SOS
‪#‎करप्शनवेद‬: आज से ५वाँ वेद प्रारम्भ
जिज्ञासा और समाधान
सूत्र १:बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे?
सूत्र २: हम सब बराबर के भागीदार हैं, हमें ही दूर करना होगा/
प्रस्तावना: P.D.Ouspenksy ने एक बुक लिखी है "Tertium Organum"जिसमे उन्होंने विश्व-समाज को सुधारने का तीसरा रास्ता सुझाया है/ विदेशी थे इसलिए उन्होंने अपने नाम से यह वेद प्रकाशित कराया/ भारत के वेद 'अपौरुषेय', हैं ,इसलिए ऋषियों ने अपना नाम नहीं लिखा/ उस के बाद एक युगपुरुष ने '4th way' लिखा --लेकिन समाधान नहीं मिला/ तथाकथित सभ्य समाज की स्थिति बद से बदतर होती गयी/
गलती एक ही हुई है, सब समाज को सुधारने की बात करते हैं लेकिन अपने को सुधारने की बात कोई मानने को तैयार नहीं होता/ हर व्यक्ति समाज का हिस्सा है, तो अगर एक आदमी सधार जाए तो कम से कम समाज की एक इकाई सुधर गयी /अच्छी शुरुआत हो गयी/ और जब एक अकेला भी शुरुवात करता है ,तो कारवां बनने लगता है/
एक स्पेनिश ऋषि ने ४० वर्षों और ८५ देशों में research या survey करने के बाद अपना निष्कर्ष प्रकाशित किया/ जो बहुत ही चौंकाने वाला था/
निष्कर्ष: १५ % आदमी अच्छे होते हैं और उन्हें बिगाड़ा नहीं जा सकता/
१५ % आदमी बुरे होते हैं, और उन्हें सुधारा नहीं जा सकता /
७० % आदमी तटस्थ होते हैं/ मौका देख कर अच्छा बन जाते हैं और मौक़ा देख कर कोई भी बुरा कर्म करने से नहीं चुकते/
जब सत्ता अच्छे व्यक्तियों के हाथ में होती है तो १५+७०=८५% लोग अच्छे हो जाते हैं/
जब सत्ता बुरे व्यक्तियों के हाथ में होती है, तो १५+७०=८५% लोग बुरे हो जाते हैं/
(India में यह ३-३-९४ है)
-------------------------------
५ वें वेद का उद्देश्य: मैंने यह प्रॉब्लम लगभग हर platform पर उठाने की कोशिश की-नेताओं से मिला और उन को लिखा,बाबु लोगों से मिला, पत्रकारों से मिला,news papers को लिखा --कोई फायदा नहीं हुआ/ इसलिए होली की भांग ने यह idea दिया , डिजिटल मीडिया आजकल बहुत सशक्त है , क्यों न यहाँ भी प्रयास किया जाए/ इसलिए मैं इसे F/B और Tweeter पर उठा रहा हूँ/
मेरा परिचय: मेरा ३५ वर्षों का private sector में काम करने का अनुभव है/ CEO;GM (works) & Plant Incharge जैसे top position me २३ वर्ष तक काम किया है/ ३५ वर्षों में २० कम्पनीज में काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ इस जिद के कारण/
अभी Retired but not tired, लेकिन कुच्छ करने की ज्वाला अभी तक जल रही है/
Ed.Q.:M.Sc.(Chem.); A.T.A (Textile Processing); D.I.E.M.(Apparels)
Keen student of Human Psychology and Spirituaity.
K.K. Sharma
09953312683
Em:krishan.sharma.vats@gmail.com
Tw.:@kksharma1469
P.S. इस वेद को निर्मित करने में सब से करबद्ध प्रार्थना/ कृपया अभद्र भाषा का प्रयोग न करें और शिष्टता का ध्यान रखें/
Unlike ·  · 
  • You, S Shakeel Ahmad and Manoj Singh Gautam like this.
  • Prem Gupta निस्संदेह हम बदलेंगे तो समाज बदलेगा । लेकिन जैसा बताया ७०% जनता भेड चाल है इसलिए समाज सुधार में अच्छी सरकार का योगदान सर्वोपरि है ।
  • Manoj Kumar Runthala · 3 mutual friends
    क्यों न पहला पत्थर मैं खुद ही को मारूँ----------थोडा तो लहू बहेगा थोडा तो सकूँ मिलेगा ---------शरीर से जमे लहू -मवाद का बाहर आना भी तो दर्द से मुक्ति देता है
  • Prem Gupta सच कहा दर्द असहनीय है । सर्जरी ही रास्ता है ।
  • Krishan Sharma आपकी दुनिया अपने आप से शुरू होती है... मेरी इस मुहीम से जुड़ें केवल मन और इच्छा शक्ती से...आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारी जिम्मेदारी है...उन्हें कोसने से काम नहीं चलेगा...उन्हें साथ लेना पडेगा...बिना मार्ग-दर्शन के उनका भटकना निश्चित है...
    आज करप्शनवेद में ३सरा सूत्र जोड़ दिया है..
  • Krishan Sharma