Krishnanand Saraswati/ Sharma Ji k 4 bandar

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Monday, March 9, 2015

#करप्शनवेद:सूत्र १ & २

SOS
‪#‎करप्शनवेद‬: आज से ५वाँ वेद प्रारम्भ
जिज्ञासा और समाधान
सूत्र १:बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे?
सूत्र २: हम सब बराबर के भागीदार हैं, हमें ही दूर करना होगा/
प्रस्तावना: P.D.Ouspenksy ने एक बुक लिखी है "Tertium Organum"जिसमे उन्होंने विश्व-समाज को सुधारने का तीसरा रास्ता सुझाया है/ विदेशी थे इसलिए उन्होंने अपने नाम से यह वेद प्रकाशित कराया/ भारत के वेद 'अपौरुषेय', हैं ,इसलिए ऋषियों ने अपना नाम नहीं लिखा/ उस के बाद एक युगपुरुष ने '4th way' लिखा --लेकिन समाधान नहीं मिला/ तथाकथित सभ्य समाज की स्थिति बद से बदतर होती गयी/
गलती एक ही हुई है, सब समाज को सुधारने की बात करते हैं लेकिन अपने को सुधारने की बात कोई मानने को तैयार नहीं होता/ हर व्यक्ति समाज का हिस्सा है, तो अगर एक आदमी सधार जाए तो कम से कम समाज की एक इकाई सुधर गयी /अच्छी शुरुआत हो गयी/ और जब एक अकेला भी शुरुवात करता है ,तो कारवां बनने लगता है/
एक स्पेनिश ऋषि ने ४० वर्षों और ८५ देशों में research या survey करने के बाद अपना निष्कर्ष प्रकाशित किया/ जो बहुत ही चौंकाने वाला था/
निष्कर्ष: १५ % आदमी अच्छे होते हैं और उन्हें बिगाड़ा नहीं जा सकता/
१५ % आदमी बुरे होते हैं, और उन्हें सुधारा नहीं जा सकता /
७० % आदमी तटस्थ होते हैं/ मौका देख कर अच्छा बन जाते हैं और मौक़ा देख कर कोई भी बुरा कर्म करने से नहीं चुकते/
जब सत्ता अच्छे व्यक्तियों के हाथ में होती है तो १५+७०=८५% लोग अच्छे हो जाते हैं/
जब सत्ता बुरे व्यक्तियों के हाथ में होती है, तो १५+७०=८५% लोग बुरे हो जाते हैं/
(India में यह ३-३-९४ है)
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५ वें वेद का उद्देश्य: मैंने यह प्रॉब्लम लगभग हर platform पर उठाने की कोशिश की-नेताओं से मिला और उन को लिखा,बाबु लोगों से मिला, पत्रकारों से मिला,news papers को लिखा --कोई फायदा नहीं हुआ/ इसलिए होली की भांग ने यह idea दिया , डिजिटल मीडिया आजकल बहुत सशक्त है , क्यों न यहाँ भी प्रयास किया जाए/ इसलिए मैं इसे F/B और Tweeter पर उठा रहा हूँ/
मेरा परिचय: मेरा ३५ वर्षों का private sector में काम करने का अनुभव है/ CEO;GM (works) & Plant Incharge जैसे top position me २३ वर्ष तक काम किया है/ ३५ वर्षों में २० कम्पनीज में काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ इस जिद के कारण/
अभी Retired but not tired, लेकिन कुच्छ करने की ज्वाला अभी तक जल रही है/
Ed.Q.:M.Sc.(Chem.); A.T.A (Textile Processing); D.I.E.M.(Apparels)
Keen student of Human Psychology and Spirituaity.
K.K. Sharma
09953312683
Em:krishan.sharma.vats@gmail.com
Tw.:@kksharma1469
P.S. इस वेद को निर्मित करने में सब से करबद्ध प्रार्थना/ कृपया अभद्र भाषा का प्रयोग न करें और शिष्टता का ध्यान रखें/
Unlike ·  · 
  • You, S Shakeel Ahmad and Manoj Singh Gautam like this.
  • Prem Gupta निस्संदेह हम बदलेंगे तो समाज बदलेगा । लेकिन जैसा बताया ७०% जनता भेड चाल है इसलिए समाज सुधार में अच्छी सरकार का योगदान सर्वोपरि है ।
  • Manoj Kumar Runthala · 3 mutual friends
    क्यों न पहला पत्थर मैं खुद ही को मारूँ----------थोडा तो लहू बहेगा थोडा तो सकूँ मिलेगा ---------शरीर से जमे लहू -मवाद का बाहर आना भी तो दर्द से मुक्ति देता है
  • Prem Gupta सच कहा दर्द असहनीय है । सर्जरी ही रास्ता है ।
  • Krishan Sharma आपकी दुनिया अपने आप से शुरू होती है... मेरी इस मुहीम से जुड़ें केवल मन और इच्छा शक्ती से...आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारी जिम्मेदारी है...उन्हें कोसने से काम नहीं चलेगा...उन्हें साथ लेना पडेगा...बिना मार्ग-दर्शन के उनका भटकना निश्चित है...
    आज करप्शनवेद में ३सरा सूत्र जोड़ दिया है..
  • Krishan Sharma

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