Krishnanand Saraswati/ Sharma Ji k 4 bandar

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Monday, March 9, 2015

#करप्शनवेद :सूत्र ५


‪#‎करप्शनवेद‬ :४ सूत्र लिखे जा चुके हैं ...
५ वां सूत्र :बात निकली है तो फिर दूर तलक जायेगी....
और यही हुआ/ करप्शन की यात्रा शुरू हो गयी, और फिर गोमुख से गंगोत्री..गंगोत्री से आस पास की धाराओं से मिल कर गंगा बनी..गंगा से गंगासागर / यानी अनंत जिसका कोई अंत नहीं....
जिसको जो घाट मिला, उसने उस घाट पर स्नान किया और अपने -२ हिसाब से पूजा-अर्चना एवं भेंट चढ़ाई/
इस अनंत आस्था को देखते हुए पण्डे-पुजारी (दलाल) भी पैदा हो गए/ और जैसी जिसकी अन्धश्रद्धा वैसी दक्षिणा /
और पूरे भारत मैं "व्याप्त" हो गयी/
चोर-चोर मौसेरे भाई/ भाई समाज बन गया / और चूँकि हर समाज का अपना क़ानून और व्यवस्था होती है, बिलकुल ऐसा ही हुआ.....क्रमशा...
मेरी फिर करबद्ध प्रार्थना/ इस मुहीम के साथ जुड़िये और यथासंभव योगदान दीजिये/
आपको तन और धन नहीं देना है, केवल अपना मन देना है...retweet करके, FB & WhatsApp पर messaage forward करके/
अपने आप से पूंछे, क्या ऐसा ही भारत आप आने वाली पीढी को देना चाहते हैं??
और आज के अध्याय का समापन इस तुकबंदी के साथ..
''धर्म तेरा हो मनुष्यता, तो सर पे तेरे ताज है,
तेरी वाणीं हो प्रार्थना, फिर तू गीतों का साज है,
ह्रदय तेरा हो इतना निर्मल, तेरी आवाज ही इश्वर की आवाज है,
यह बता कर जग से बिदा लेना, बिन तेरे दुनिया बड़ी मोहताज़ है"
के.के.शर्मा
०९९५३३१२६८३
Em: krishan.sharma.vats@gmail.com
Tweeter Account @ kksharma1469
Blog:Krishnanand101.blogspot.com
धन्यवाद जो जुड़ चुके हैं, जो जुड़ना चाहते हैं और जो आगे जुड़ेंगे
Unlike ·  · 

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