#करप्शनवेद :३ सूत्र लिखे जा चुके हैं/
४ था सूत्र: मुर्गी पहले आयी या अंडा?
करप्शन इतनी बड़ी पहेली नहीं है/ इसके बीज जनता ने बोए हैं तो इसको समाप्त करने का बीज भी जनता को ही बोना पड़ेगा/ आपकी दुनिया स्वंयं आप से शुरू होती है/
क्यों और कैसे ???
भारत जब आजाद हुआ १९४७ मैं तो पहली रिश्वत किसी एक आदमी ने (कोई भी हो सकता है) किसी सरकारी आदमी को दी होगी/ आजादी का नशा सबके सर चढ़ कर बोल रहा था/ अपना काम निकालने के लिए किसी एक आदमी ने इसकी शुरुआत कर दी, और फिर सरकारी ने इसे अन्य-आय का विकल्प बना लिया/
और आज ये हालत है १०० मैं से ९९ बेईमान, फिर भी मेरा भारत महान/
इस मुहीम से जुड़िये/
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इस यज्ञ मैं आपकी आहुति ज़रूरी है , और आने वाली नस्ल की पुकार भी/
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कृपण मत बनिए, कृपणता बहुत बड़ा अभिशाप और जुर्म है/
भारत में एक बड़े राजऋषि हुए हैं , जिनका नाम था कर्दम/ उन्होंने विष्णु भगवान् की बहुत प्यारी स्तुति की है/ विष्णु की प्रार्थना, करते हुए कहते हैं...मेरे राज्य मैं कोई भी कृपण नहीं है, इसलिए आप मेरे राज्य पर अपनी कृपा-दृष्टि बनाए रखना/
आज की यही सच्चाई है..सारे संसार की दौलत केवल १० % लोगों ने कब्जे मैं की हुई है अगर वो अपनी बेशुमार दौलत का उपयोग सद्कार्यों में लगाएं तो गरीबी ऐसे दूर हो जायेगी जैसे गधे के सर से सींग/
और विश्व मैं ''वासुदेव कुटुम्बकम'' धर्म फिर से स्थापित हो जाएगा, और पूरा विश्व "सोने-की-चिड़िया'' बन जाएगा / यह हो सकता है और भारत इसे कर के दिखा चुका है/
फिर से शुरवात भारत को ही करनी होगी/ पूरा विश्व इसका इंतज़ार कर रहा है/
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